पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार कमल भंसाली की एक ग़ज़ल जिसका
शीर्षक है “ओ,
मेरे
सनम”:
मेरे सनम, तुम्हीं से की मौहब्बत, तुम्हें ही दिल दिया
कभी इनकार, कभी इकरार, सदा अंदाजे दर्द ही पीया
बेवफा कहके, बदनामी का बदगुमां तोहफा ही दिया
बेपरवाह प्यार किया है, तो इल्जामों की क्या हस्ती ?
बेचैनियों को थोड़ी जगह, नाजुक दिल मे मिल जाती
तजरुबा हसरतों पर मेहरबान, तभी तो हुए इतने बेताब
कभी जिंदगी, तन्हाई में भी प्यार की सरजमी ढूंढती
तो कभी कोई जख्म याद न करेंगे, करते तुम से वादा
मौहताज न हो, तेरी जिंदगी, कभी बिना कोई यार
वक्त के बदलते रवैये को, जरा जिंदगी को भी समझाओ
गम का सफर शुरु हो, उस से पहले जरा संभल जाओ
बदलते जमाने में, मौहब्बत के रंग भी फीके पड़ते
जीना जरुरी दिलवर, दिल को भी हार मंजूर नहीं होती


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