पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार एस के कपूर "श्री हंस" की एक कविता जिसका शीर्षक है “पाने को थोड़ा सा जीवन भर बहुत कुछ खोया करता है":
आदमी खिलौना मिट्टी का
पर फना होने से डरता है।
कर्म की चिन्ता नहीं अमर
होने की कामना करता है।।
मौत पर काबू नहीं और
बस नहीं है जिंदगी
पर।
मिली इक छोटी सी जिंदगी
जाने कितना पाप भरता है।।
क्या होते जीवन के अर्थ ये
तो कभी सोचता
नहीं है।
किसी गलत बात
को भी
सामने से रोकता नहीं
है।।
अपनी स्वार्थ की नाव पर ही
उसपर सदैव रहता है सवार ।
अपने कर्मों का फल स्वेच्छा
से कभी भी भोगता नहीं है।।
नफरत ईर्ष्या से
ही सदा
सरोकार बनाये रखता है।
सहयोग परोपकार की बात
बस जबानी ही
भरता है।।
जीवन को जीवन की भांति
कभी नहीं है
वह जीता।
कुछथोड़ा पाने कोजीवन भर
बहुत कुछ खोया करता
है।।


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