Welcome to the Official Web Portal of Lakshyavedh Group of Firms

कविता: नई लड़की (विनय विश्वकर्मा, प्रयागराज, उत्तर प्रदेश)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार विनय विश्वकर्मा की एक कविता  जिसका शीर्षक है “नई लड़की”:
 
वो नई लड़की
जिसको देख कली सौतन समझती है अपनी
भंवरे मंडराना चाहते जिस पर
पवन ख़ुश्बू बिखेरने लगता है जब भी उसे स्पर्श करता है
अंधेरे को रौशनी से नही अब उसके चेहरे
से शिकायत होती है
हां हां वही लड़की जिसको देख चाँद चुपके से छिप के
बादलों से निहारता है
जिसकी बातों में समुन्द्रों की गहराई और
चाश्नी से भी ज्यादा मिठास होती है
जिसका दिल पारदर्शी निर्मल  स्वछ
उस संगम की तरह हैं जहां
मिठास,शालीनता,और तिलिस्म
जा कर मिलते हैं
हां वही जो जब भी बिखेरती है  अपनी उदासी
बादल उमस से नही भावुक होकर बारिश
करता है
वही लड़की जिसकी पलको के छोर पर काजल
भी सौन्दरता से लिप्त इतराता है
जिसे देख आसमानों में पोछा लग जाता है
और तारे खुद ब खुद टिमटिमाते हुए उसके नाम की आकृतियों में ढल जाते है
हां वही जिसे देख मैं पहाड़ो, झरनों,नदियाँ
हरियाली प्रकृति के सभी मायावी लुभावनी
स्मृतियों के
बनावट को फीका समझता हूँ
हां वही लड़की जो कुछ ही दिनों पहले मेरी दोस्त बनी है
अब लगता है जैसे उसे सालों से मैं जानता हूँ

Post a Comment

0 Comments