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कविता: न जाने क्यों और कैसे (संजय "सागर" गर्ग, जलपाईगुड़ी, पश्चिम बंगाल)


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार संजय "सागर" गर्ग  की एक कविता  जिसका शीर्षक है “न जाने क्यों और कैसे”:

न जाने क्यों और कैसे

साथ तो हूं सबके
फिर भी लगता है
दूर हूं किसी से
लगता है कहीं खो सा गया हूं
कुछ अनचाहे ख्यालों में
कैसा ख्याल है ये
कैसा एहसास,
नहीं जानता
बस सूना - सूना सा है
खोखला है.... खाली है....
क्या हो रहा है
क्यों हो रहा है
मैं नहीं जानता
या जानना नहीं चाहता
सबकुछ पाकर भी
अजीब सा अधूरापन है
न खुशी, न एहसास
कोई जान नहीं हो जैसे
वीरानियत है
न जाने क्यों और कैसे
न जाने क्यों और कैसे।

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