पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार नर्गिस खातून की एक कविता जिसका शीर्षक है “मेरी नही,
सबकी
भाषा ”:
हिंदी हिंदुओं की नहीं
हम सब की शान है
ये सिर्फ भाषा नहीं
हमारा आत्मा सम्मान हैं।
जो ना बोले हिंदी
खुद का करते अपमान हैं।।
हम सब की शान हैं
अंग्रेजी की बैशाखी ले ,जो चलते है
गिरते -उठते अपनी भाषा में करहाते
मां-मां करते, पीते अंग्रेजी घुट का
करते मातृभाषा का अपमान हैं
हां वे खुद को
आधुनिक बुद्धिजीवि समझते हैं।।
ये तो दिखावे की, प्रतिष्ठा की बात है।
आज वक्त है , अपनी सोच बदल कर
आये दूरी अपनी बीच की मिटा
हिंदी को राष्ट्र भाषा की पदवि दे
अपनी एकता को सुदृढ़ बनाये।।


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