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कविता: हिंदी दिवस (अन्जनी अग्रवाल 'ओजस्वी', कानपुर नगर, उत्तर प्रदेश)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार अन्जनी अग्रवाल 'ओजस्वी' की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हिंदी  दिवस:

हिंदी में पुलकित करे,
ले जाये मान की ओर।
ये अलौकिक दीप्तिमान,
प्रकाशमय जैसे पूर्णिमा चाँद।
तेज प्रकाश पुंज वाहनी,
बुद्धि प्रकाश की धरोहर।
ये गुनगुनी धूप सी चहुओर,
दिलाये सम्मान क्षितिज छोर।
स्वर्णिम आभा सूर्य की,
भरे ह्रदय में नित्य नई उमंग।
हिन्द सवेरा अब कर रहा ,
अलौकिक सर्वस्य ये संसार।
जो राष्ट्र भाषा बन जाए,
नव ऊर्जा का करे संचार।
बिन हिंदी मिले  न मान,
सब मिल  दें इसे सम्मान।
ये राष्ट्र मस्तक का बिंदी नूर,
बनाये भारतीय अपना सिंदूर।
आज  दिवस हिंदी का  आया,
हर्षोउल्लास ह्रदयों में सबके छाया।

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