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कविता: हिंदी दिवस (अनामिका सिंह "करम", उत्तम नगर, दिल्ली)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार अनामिका सिंह "करम" की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हिंदी दिवस:

 
हिंदी हम सब की है प्यारी,हम सभी की है
दुलारी सभी भाषाओं पर भारी है,क्योंकि
ये है हम सभी में समाहित।
 
न गर्व है न अभिमान है,सबको लिए साथ
चलती है,फिर चाहे वो गढ़वाली हो या फिर
हो वो पंजाबी।
 
देश की शान है हिंदी,देश का स्वाभिमान है
फिर भी कही से भी नहीं नज़र आता है,थोड़ा
सा भी इसमें अभिमान।
 
सबको साथ लिए चलती है,जिसमें चाहे समा
जाती है,अंग्रेज़ी से भी कोई बैर नही,प्यार से
इसे भी निभाना जानती है।
 
हिंदी...हम सभी की प्यारी है,सभी की दुलारी
है, राष्ट्र भाषा होते हुए भी,
सभी भाषाओं से मिल- -जुल कर रहती है।
 
निज भाषा उन्नति अहै,हमे भी ये अपनाना है,
अपनी भाषा का सम्मान करके हमें भी अब सभी
को दिखाना है...
 
जय हिंद...जय हिंदी..जय हिंदू

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