पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार शमा जैन सिंघल की
एक लघुकथा जिसका
शीर्षक है “धैर्य":
कमरे में दीवार पर एक बल्ब लगा हुआ था ! जिसे अपनी रोशनी पर बहुत गुमान था!पास ही छोटा सा एक दीपक जल रहा था ! बल्ब अपने आप पर इतराते हुए दीपक को कहता है कि मेरी इतनी रोशनी के सामने तुम्हारी रोशनी कुछ मायने नहीं रखती , मैं देखो कैसे शान से दीवार पर टंगा हूं और तुम जमीन पर कोने में पड़े हो! बल्ब के बहुत बार ऐसा कहने पर भी दीपक शांत रहा , थोड़ी देर में अचानक बिजली चमकी और बारिश होने लगी ! खराब मौसम के कारण लाइट चली गई साथ ही बल्ब की रोशनी भी बंद हो गई मगर दीपक अभी भी शांति से कोने में जगमगा रहा था! छोटे से दिए ने अंधेरी रात को अपनी रोशनी से रोशन किया हुआ था !
शिक्षा :- कभी भी किसी को अपने आप से छोटा या कमजोर नहीं समझना चाहिए ! धैर्य ही बलवान है !


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