पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार प्रिया गौड़ की एक कविता जिसका
शीर्षक है “हिंदी है माथे की बिंदी”:
हिंदी जैसे माथे की बिंदी
नारी की शोभा बढ़ाए बिंदी
भारतीयों को वैसे भाए हिंदी
नारी का सुहाग निशान है बिंदी
भारतीयों की शान हैं हिंदी
छोड़ नही सकती नारी जैसे बिंदी
भारत की वैसे ही जान है हिंदी
नारी की खूबसूरती, शान ,मान है बिंदी
भारत की पहली पहचान है हिंदी
पसंद आया विदेशी को भारतीय बिंदी
छू गया वैसे ही हिंदी
सुर,तुलसी,मीरा ने बनाया
हिंदी को माथे की बिंदी
पूरे भारतवर्ष में है आज
हिंदी हिंदी हिंदी
जैसे नारी की ललाट पर चमकती है बिंदी
वैसे भारत की ललाट पर दमकती है हिंदी


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