पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
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सामने प्रस्तुत है रचनाकार राधा गोयल की एक कविता जिसका शीर्षक है “राष्ट्रभाषा की वेदना":
अंग्रेजी के दत्तक पुत्रों, आज रो रही भारती।
कोख से जिसकी जन्म लिया, वह माता आज पुकारती।
आज रसातल को जाता है मेरा भारत देश।
मेरे बच्चों! भूल गये तुम, क्यों अपना परिवेश?
मेरे बच्चों मुझको ही तुम लगते हो परदेशी।
अपने ही बच्चों को, मैं लगती हूँ आज पराई।
जिस भाषा में तुतलाए, तुम भूल गये वो भाषा?
क्या स्वरूप गंदा मेरा, जो धक्का मुझे दिया है?
जिसने केवल गोद लिया, उसका सम्मान किया है।
इसीलिए मेरे उर अंदर, आज जल रही ज्वाला।
मेरे ही बच्चों ने दी, ये अपमानों की हाला।
अन्तर में जो आग जल रही, कैसे उसे बुझाऊँ?


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