पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार सुशील कुमार सिंह की एक कविता जिसका
शीर्षक है “हिंदी से प्यार था”:
हिंदी से प्यार था!
जब तक उसे पा न लिया
और अब जब पा लिया हैं,
हिंदी साहित्य परिवार का कसूरवार हूँ।
पूर्णतः इसे न अपनाने का गुनहगार हूँ।
मेरा प्यार हैं या मेरी पहचान हैं?
क्या वर्षों-वर्ष का इंतज़ार हैं ?
इसकी ख़बर भी हर किसी को नहीं हैं।
मौन बैठें हैं सब अपने-अपने ज्ञान को दबा।
पायी शिक्षा इसी की, दिक्षा इसी की,
क्यों यह अपने हक की लड़ाई भी ना लड़ पायी!
ये हिंदी हैं,
अपने ज्ञान से प्राप्त न कर पायी हैं,
अपने घर ही पराई हैं,
ये वही हिंदी हैं,
मुस्कुराई हैं ।


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