पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार पंकज कुमार ठाकुर
"उम्मीद" की एक कविता जिसका शीर्षक है “जंग जारी है”:
मेरे अंत की तैयारी है
पर अब भी जीतने की जंग जारी है।
फरमानों ने आग लगा दी है
अब भी पानी के लिए जंग जारी है,
बेईमानों ने महल की नींव डाली है
पर अब ईमानदारी की झोपड़ी की जंग जारी है।
अंग्रेजी ने दुकां बहुत चला ली है,
अब हिंदी की दुकां निराली हैं
नाकामयाबी के सिलसिले जारी है
पर कामयाबी की जंग जारी है।
पर अब भी जीतने की जंग जारी है।
फरमानों ने आग लगा दी है
अब भी पानी के लिए जंग जारी है,
पर अब ईमानदारी की झोपड़ी की जंग जारी है।
अंग्रेजी ने दुकां बहुत चला ली है,
पर कामयाबी की जंग जारी है।


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