पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार नरेन्द्र सिंह की एक कविता जिसका शीर्षक है “जरुरत है !":
हिंदी केलिए कार्य शाला ,
ये आयोजन
ये जश्न
और ये मनोरंजन ,
ये अभियान
वो आह्वान
सभी ब्यर्थ है
जरुरत है , ह्रदय परिवर्तन की i
हिंदी की जय जय कार
हिंदी विकास के लिए गुहार
हिंदी के लिए रोना धोना
से कुछ नहीं है होना ,
यह सब ब्यर्थ है
जरुरत है ,गुलामी मानसिकता बदलने की !
कथनी में तौबा तौबा अंग्रेजी ,
करनी में हिंदी परहेजी ,
लेखन में वही अंग्रेजी घिसीपिटी
जिससे संकीर्ण भावना रही है चिपटी ,
तो ब्यर्थ है अंग्रजी हाय हाय
और हिंदी की दुहाई
जरुरत है , नए सिरे से कार्य करने की !
दिखावटी हिंदी प्रेम की ज्वारभाटा
हिंदी विकास के झूठे डाटा
पोस्टर ,बैनर व फेस्तून
हम कुछ लोगो के धून
सभी ब्यर्थ है ,
जरुरत है ,
सबों को
हिंदी के लिए शपथ लेने की !
हिंदी दिवस मनiना ,
कविता सुनना सुनाना
आपका अर्ज
मेरा फ़र्ज़
सभी ब्यर्थ है ।
जरुरत है, तहे दिल से सोचने की ।
ये जश्न
और ये मनोरंजन ,
वो आह्वान
सभी ब्यर्थ है
जरुरत है , ह्रदय परिवर्तन की i
हिंदी विकास के लिए गुहार
हिंदी के लिए रोना धोना
से कुछ नहीं है होना ,
जरुरत है ,गुलामी मानसिकता बदलने की !
जिससे संकीर्ण भावना रही है चिपटी ,
और हिंदी की दुहाई
जरुरत है , नए सिरे से कार्य करने की !
हिंदी विकास के झूठे डाटा
पोस्टर ,बैनर व फेस्तून
हम कुछ लोगो के धून
सभी ब्यर्थ है ,
आपका अर्ज
मेरा फ़र्ज़
सभी ब्यर्थ है ।
जरुरत है, तहे दिल से सोचने की ।


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