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कविता: हिंदी भाषा (करुणा प्रजापति, इंदौर, मध्यप्रदेश)

 

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार करुणा प्रजापति की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हिंदी भाषा:
 
मिला है राष्ट्रभाषा का सम्मान जिसे,
वो है मेरी प्यारी हिंदी |
भारत माता के चमकते भाल पर,
सुनहरी बिंदी ||
 
हिंदी केवल भाषा नहीं,
मेरा अस्तित्व, मेरी पहचान है |
बहती है मेरी रगों में रक्त की तरह,
मेरा गर्व, मेरी मुस्कान है ||
 
जन -जन की प्रिय भाषा यह,
सभी मिलकर करते गुणगान है |
अंग्रेजी बोलने वाले शिक्षित,
हिंदी बोलने वाले गँवार,
ऐसा समझने वाले होते नादान है ||
 
इन्हीं हमारी नादानियों से,
हिंदी पर आया संकट महान है |
हमारी राष्ट्रभाषा की महत्ता हुई कम,
अपने ही देश में अपनी ही राष्ट्रभाषा में फेल होते विद्यार्थी,
हिंदी बोलने में हिचकते अभिभावक,
सभी हिंदी की अवहेलना का ही परिणाम है ||
 
भला माता और भाषा का भी कभी एक दिन होता है क्या?
माँ और मातृभाषा की महिमा का,
वर्णन अपरम्पार है ||
एक दिवस मना लेने से क्या,
होता भाषा का उद्धार है?
 
आज आवश्यकता है, अपनी भाषा का गौरव पुनः लौटाए हम ||
की है जो अतीत में ग़लतियाँ,
उन्हें ना दोहराएं हम ||

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