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कविता: हिंदी मेरी भाषा (मईनुदीन कोहरी "नाचीज बीकानेरी", मोहल्ला कोहरियान, बीकानेर, राजस्थान)

 


पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार मईनुदीन कोहरी "नाचीज बीकानेरी" की एक कविता  जिसका शीर्षक है “हिंदी मेरी भाषा":

प्यारी - प्यारी सबसे न्यारी मेरी भाषा ।
हिंदी पर बिन्दी हिंदी प्यारी मेरी भाषा ।।
 
देश - विदेशों मे है जिसका गुणगान ।
सब से अच्छी सबसे प्यारी मेरी भाषा ।।
 
ज्ञान - विज्ञान का अखूट भण्डार है ये ।
इसलिए सब जन-जन पढते मेरी भाषा ।।
 
हिंदी पढेगा गर भारत का बच्चा - बच्चा।
सम्प्रेषण में भी उपयोगी होगी मेरी भाषा ।।
 
खेल- सिनेमा जगत ने जिसको अपनाया ।
एकता का हमें पाठ पढ़ाने वाली मेरीभाषा।
 
सब भाषाओं के संग जिसने मेल बिठाया ।
भाषायी ज्ञान जनजन तक लाई मेरीभाषा।
 
राष्ट्र - भाषा का सम्मान जिसको मिला ।
देवनागरी लिपि जिसकी वैज्ञानिक भाषा ।।
 
सूफ़ी-संत-विद्वानों ने जिससे यश पाया ।
जाति-धर्म सब के मुख शोभित मेरी भाषा।
 
सविंधान ने जिस भाषा का गौरव बढाया।
हिंदी दिवस के रुप में मनाते वो मेरी भाषा।
 
अटल जी ने यू एन ओ में भी मान बढाया।
हिंदी हैं हम वतन,हिंदी है प्यारी मेरी भाषा।

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