पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार बंदना पंचाल की एक कविता जिसका
शीर्षक है “भाई दूज”:
ना मांगू मैं सोना - चांदी
मांगू ना मैं कोई उपहार।
भाई दूज पर आना भैया,
करूंगी मै ढेर सारी बातें,
करूंगी तुम्हारा इंतजार।
भाई दूज पर आना भैया,
जीवन में सदा खुशहाली हो।
दिन हो तुम्हारे ईद के जैसे,
करते रहना तुम मुझको प्यार।
भाई दूज पर आना भैया,
भाभी मां की परछाई है।
तुम सब की मुस्कान ने ही
बाबुल की बगिया महकाई है।
भाई दूज पर आना भैया,