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कविता: वक्त का खेल (छोटे लाल प्रसाद, वर्धमान, पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार छोटे लाल प्रसाद की एक कविता  जिसका शीर्षक है “वक्त का खेल”:

समाज बदल रहा है

और हम भी बदल रहे हैं

पहले आलिंगन करते थे

और अब नजरे चुरा रहे हैं।

 

ज़हर तो पहले से ही था

अब बाहर निकाल रहे हैं

कोई संदेह ना हो इसलिए

विषाणु का नाम बता रहे हैं।

 

पूरी परीक्षाओं के बावजूद भी

व्यक्ति को बहिष्कार कर रहे हैं

पहले प्रिय हुआ करते थे जो उन्हें

अपराधी का आरोप लगा रहे हैं।

 

दायित्व से दूर रहकर भी

लोग दायित्व को निभा रहे हैं

और कैसी स्थिति आ गई है देखो

घर बैठे लोग बुराइयां निकाल रहे हैं।