भारत माता के जयकारे से
पाक यह तेरी गलत नियत
चकनाचूर किया सेना नै
पाकिस्तान की रूह कांपी थी
जब कारगिल पर तिरंगा फहराया था।
कारगिल जो आया था,
तूमे लाहौर तक भगाया था
हमारे जवानों ने तब खुशियां मनाई
जब कारगिल पर तिरंगा फहराया था।
जब युद्ध हुआ भिष्म था
५०० से ज्यादा सेर खोये हमने
योद्धाओं ने अपना वादा निभाया था
जब तिरंगा में लिफ्ट कर घर आया था
फिर भी परिवार ने खुशियां मनाया था
जब कारगिल पर तिरंगा झंडा फहराया था।
सब सैनिक एक स्वर में कसम जो खाई
पाक को हरा कर सैनिक ने पुरी कि लड़ाई
तब कारगिल पर तिरंगा फहराएं गई।
यह कविता लिखते लिखते कई बार रोया हु
जिस परिवार ने अपना जवान बेटा खोया है
बाप ने जवान बेटा के अर्थी को कंधा पर धोया है
मां के दूध भी जमीन पर उतर आया होगा
जब बेटे के अर्थी को गोद में लिया होगा,
जब मेनदी लगी हाथ से उसने
सिन्दूर अपना धोया होगा।
उनको भी वह पल याद आया होगा
जब उसने पत्नी के गले में मंगलसूत्र डाला होगा
आज यह देख उसकी आत्मा रोया होगा
जब उसके पत्नी ने मेंन्दी वाले हाथ से
अपना मंगलसूत्र उतारा होगा।
भारत माता के जयकारे से
पाक यह तेरी गलत नियत
चकनाचूर किया सेना ने
पाकिस्तान की रूह कांपी
जब कारगिल पर तिरंगा फहराया था।
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