पश्चिम
बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंस" से
प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद
हिंदी ई-पत्रिका" के वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके
सामने प्रस्तुत है रचनाकार बबिता कंसल की एक कविता जिसका
शीर्षक है “आया पूनम का चांद”:
देखो आया पूनम का चांद
गगन कर रहा अमृत बरसा
ओढ कर केसरिया ओढनी
भर कर बाहों मे ध्वल चांदनी
शीतल मधुर अहसास लिए
नेह भर आंचल मे रात
चांदी सा चमकता धरा का
कण कण, तारों की बारात
आज होगा महारास
सोलह श्रृगांर किये राधा मुस्कायी
सखी देखो चंदा आ गया
शरद पूर्णिमा रास की रात
अमृत की बूंदे झरें,झरें हारसिंगार
यमुना की लहरें करें हिलोर
कदम्ब के तले आलोकिक
रूप धरे खड़े मनमोहन
महारास मे कब रात बीती
बेसुध सारी गोपियां
प्रेम पगी सब जानें किन सुधियों मे
मन के आंगन मे भर उजास
अधरों पर शबनम
मन झरोखों मे खो कर
छलकती रही सुधा .......
सखी देखो पूनम का चांद आ गया
हमारा मन चंदा हमारें संग ।
देखो आया पूनम का चांद
गगन कर रहा अमृत बरसा
ओढ कर केसरिया ओढनी
भर कर बाहों मे ध्वल चांदनी
शीतल मधुर अहसास लिए
नेह भर आंचल मे रात
चांदी सा चमकता धरा का
कण कण, तारों की बारात
आज होगा महारास
सोलह श्रृगांर किये राधा मुस्कायी
सखी देखो चंदा आ गया
शरद पूर्णिमा रास की रात
अमृत की बूंदे झरें,झरें हारसिंगार
यमुना की लहरें करें हिलोर
कदम्ब के तले आलोकिक
रूप धरे खड़े मनमोहन
महारास मे कब रात बीती
बेसुध सारी गोपियां
प्रेम पगी सब जानें किन सुधियों मे
मन के आंगन मे भर उजास
अधरों पर शबनम
मन झरोखों मे खो कर
छलकती रही सुधा .......
सखी देखो पूनम का चांद आ गया
हमारा मन चंदा हमारें संग ।