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कविता: वो गलियारे (माधुरी पाण्डेय, सिलीगुड़ी , पश्चिम बंगाल)

पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के
 "लक्ष्यभेद पब्लिकेशंससे प्रकाशित होने वाली सर्वप्रथम हिन्दी डिजिटल फॉर्मेट की पत्रिका "लक्ष्यभेद हिंदी ई-पत्रिकाके वेब पोर्टल पर आपका स्वागत है। आज आपके सामने प्रस्तुत है रचनाकार माधुरी पाण्डेय की एक कविता  जिसका शीर्षक है “वो गलियारे”:
               
आज भी याद आती है
गाँव की वो गलियारे ,
जो शहरों की इन
चमक धमक से थे परे ।
जहाँ इक मनभावन .....
हवाओ से जुड़ा था मन
जिसकी पगडंडी की
धूल में इक प्यारी सी
खुसबू से रोज
मिलना होता था ।
जहाँ बारिश की बूंदों से
मिट्टी में सौंधी सौंधी
महक से एक - एक रास्ते
महक जाते थे ,
जहाँ खेतो में लहरहाते
फसलों से चारों और
रंगीनिया छा जाती थी ,
सरसों के फूलों से
हर और सुनहरी किरण
फ़ैल जाती थी ,
जहाँ नीम की निंबौरी
से हवाओं में शुद्धता
आ जाती थी ,
जहाँ दादा - दादी की
कहानियों की बीच बचपन बीता
मासूमियत और नासमझी ......
के बीच हर पल जीया
उन गलियारों के बीच जाते मन नहीं थकते ,
पर उन सबको छोड़ लौट
आना पड़ता है कर्मभूमि की ओर ।।